ये चिट्ठा भी है और कच्चा चिट्ठा भी। चिट्ठा मेरा है और कच्चा चिट्ठा दूसरों का। बुद्धिजीवी-धर्म का पालन करते हुए ख़ुद को छोड़कर सबपर उंगली उठाऊँगा। वैसे माहौल की गरमी को शांत करने के लिए बीच-बीच में साहित्य का शरबत भी सर्व करता रहूँगा।
Tuesday, November 3, 2009
तथाकथित धर्मनिरपेक्षों, बुद्धिजीवियों और सामाजिकों का कच्चा चिट्ठा
बुद्धिजीवी की दुकान
"मैं गुजरात में 1,000 मुसलमानों के क़ातिलों को साम्प्रदायिक कहूँ / और दिल्ली में 3,000 सिखों के हत्यारों को धर्मनिरपेक्ष तो चौंकना मत/ क्रिया के बाद प्रतिक्रिया सिद्धांत देने वाले मुख्यमंत्री को दंगाई कहूँ/ और बड़ा पेड़ गिरने के बाद धरती हिलने का सिद्धांत देने वाले / प्रधानमंत्री को मिस्टर क्लीन / तो भी कर लेना यक़ीन।
जिन्होंने पचास साल में एक भी दंगापीड़ित को न्याय नहीं दिलाया/ जिन्होंने सर्वोच्च न्यायालय के इंसाफ़ को दिखा दिया ठेंगा- / उनकी आरती उतारूँगा मैं / और अपनी प्रतिबद्धता साबित करने के लिए / गिनूँगा सिर्फ़ दूसरे पक्ष के कुकर्म/ मेरी नज़र में मस्जिद ढहाने वाले तो साम्प्रदायिक हैं / लेकिन राजनीतिक फ़ायदे के लिए / मंदिर का ताला खुलवाने वाले दूध के धुले
मैं भूल जाता हूँ कि अंग्रेजों की फूट डालो और शासन करो की नीति / इस देश के सभी सत्तालोलुपों में एक-सी लोकप्रिय है / और सबने सेंकी हैं जलती चिताओं पर स्वार्थ की रोटियाँ / उत्तर से दक्षिण तक, पूरब से पश्चिम तक / जो शातिर हैं, वो जा कर उन चिताओं पर बहा आते हैं आँसू / जो दुस्साहसी, वो दूर से करते हैं अट्टहास / पर सत्ता दोनों को चाहिए अपने पास।
जानता हूँ कि मेरी कानी सोच से कभी ख़त्म नहीं होगी साम्प्रदायिकता / फिर भी दो साम्प्रदायिकों की लड़ाई में मुझे एक को धर्मनिरपेक्ष कहना है / आख़िर मुझे भी इस बाज़ार में रहना है ! "
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Sunday, November 1, 2009
हमारे समय के प्रगतिशीलों का कच्चा चिट्ठा
हमारे समय के प्रगतिशील लोग (कविता)
"हमारे समय के प्रगतिशील लोगों के लिए / स्त्री के बारे में सोचना माने सेक्स के बारे में सोचना / लोगों के जीने-खाने की आज़ादी से ज़्यादा फ़िक्र / उन्हें उनकी सोने की आज़ादी को लेकर है / दुनिया की सबसे प्रगतिशील स्त्री वो है / जो बाहर अपने पति और परिवार के ख़िलाफ़ बोलती हुई / उनके साथ भीतर चली आए।"
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"हमारे समय के प्रगतिशील लोग चाहते हैं कि सेक्स एजुकेशन बचपन से मिले / ताकि जब आठवीं क्लास के बच्चे एमएमएस बनाएँ / तो कॉन्डोम का इस्तेमाल करना ना भूलें / हमारे समय के प्रगतिशील लोग चाहते हैं कि / एक दिन कॉन्डोम इतना पॉपुलर हो जाए कि / बच्चे कॉन्डोम को गुब्बारों की तरह उड़ाएँ / और माँ-बाप इस महंगाई के ज़माने में गुब्बारों का पैसा बचा लें।"
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"हमारे समय के प्रगतिशील लोग / पुरबा हैं कि पछुआ हैं / खरगोश हैं कि कछुआ हैं / पता ही नहीं चलता। हमारे समय के प्रगतिशील लोग / मोटे हैं कि महीन हैं / अमेरिका हैं कि चीन हैं / पता ही नहीं चलता।"
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