(14 मार्च 2016)
जब आप "भारत की बर्बादी के नारे" लगाएं और "पाकिस्तान ज़िंदाबाद" बोलें, तब यह देशद्रोह है। लेकिन अगर आप "भारत ज़िंदाबाद" और "पाकिस्तान ज़िंदाबाद" दोनों साथ-साथ बोलें और दोनों देशों की तरक्की की कामना करें, तो यह इस उप-महाद्वीप में शांति और सौहार्द्र की हमारी आकांक्षा है।
अगर भारत का कोई नागरिक पाकिस्तान जाकर "भारत ज़िंदाबाद" बोले, तो इसमें कुछ भी ग़लत नहीं है। इसी तरह अगर पाकिस्तान का कोई नागरिक हमारे यहां आकर "पाकिस्तान ज़िंदाबाद" बोले, तो इसमें भी कुछ ग़लत नहीं है। किसी भी देश का नागरिक अपने देश की जय-जय तो कर ही सकता है, चाहे वह किसी भी दूसरे मुल्क में क्यों न चले जाए।
राजनीतिक कारणों से हर बात का बतंगड़ बनाकर या तो हम अपनी नासमझी उजागर करते हैं या फिर अपनी कुटिलता ही दुनिया को दिखाते हैं। रविशंकर के कार्यक्रम में ऐसा कुछ नहीं हुआ, जिसे देशद्रोह की संज्ञा दी जा सके या इसका हवाला देकर उन लोगों की आलोचना की जा सके, जिन्होंने जेएनयू में लगे देशद्रोही नारों का विरोध किया था।
मैं भी "भारत ज़िंदाबाद" के साथ "पाकिस्तान ज़िंदाबाद" और "बांग्लादेश ज़िंदाबाद" बोलना चाहता हूं। आख़िर ख़ून तो हम तीनों का एक ही है और सिर्फ़ बांटने वाली राजनीति के चलते ही हम लोग एक-दूसरे के ख़ून के प्यासे हुए हैं। मेरा तो यहां तक ख्याल है कि आरएसएस भी अगर "अखंड भारत" की बात करता है, तो उसे उन मुल्कों की जय बोलने में दिक्कत नहीं होगी, बशर्ते कि वे भारत-विरोधी कोई गतिविधि न चलाएं।
हालांकि मैं जानता हूं कि ऐसा अब कभी संभव नहीं है, फिर भी ज़रा सोचिए कि अगर किसी दिन भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश- तीनों फिर से एक हो जाएं, तो एकीकृत भारत/अखंड भारत/वृहत भारत निश्चित ही दुनिया का सबसे ताकतवर मुल्क बन जाएगा। अगर उपरोक्त तीनों नामों पर सहमति न बन सके, तो मैं तो उस एकीकृत मुल्क का नाम "हिन्दोस्लां/हिन्दोस्लाम" रखने तक को तैयार हो जाऊंगा।
मेरा मानना है कि भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश- इन तीनों मुल्कों में ज़्यादातर समस्याएं विभाजन की कोख से ही पैदा हुई हैं। जिस दिन तीनों एक हो जाएंगे, उसी दिन से उनके अच्छे दिनों की शुरुआत हो जाएगी, क्योंकि इससे इन मुल्कों में घिनौनी सांप्रदायिक राजनीति का अंत हो जाएगा और हिन्दुओं व मुसलमानों में एकता कायम हो जाएगी।
इतना ही नहीं, एकीकृत भारत में एक तरफ़ जहां भारतीय मुसलमानों का मुख्यधारा से कटे होने का अहसास खत्म हो जाएगा, वहीं पाकिस्तान और बांग्लादेश के मुसलमानों की भी किस्मत चमक जाएगी। उनके बच्चे छाती पर बम बांधकर नहीं मरेंगे, न बच्चों को स्कूल जाने पर गोली मारी जाएगी। उस दिन एकीकृत भारत के हिन्दू भी अधिक प्राउड हिन्दू होंगे।
इसलिए बंटवारे की राजनीति के बीच कहीं से भी अगर कोई ऐसी बात आती है, जिससे भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश में एकता की भावना को ताकत मिले, तो हमें उसका स्वागत करना चाहिए, न कि उसपर भी गंदी राजनीति शुरू कर देनी चाहिए।
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