Wednesday, March 16, 2016

विडंबना

(10 मार्च 2016)

वे रोज़-रोज़ नूसन्स (nuisance) क्रिएट करें।
तथ्यों के साथ बलात्कार करें।
ख़ुद महिलाओं से उद्दंडता करें, पर सेना के जवानों को बलात्कारी बताएं।
बार-बार लोगों की भावनाएं आहत करें।
जातिवाद और सांप्रदायिकता को हवा देने की कोशिश करें।
ज़मानत को उकसाऊ भाषण देने का लाइसेंस समझ लें।
अदालत की हिदायतों की अनदेखी करें।
कानून के छिद्रों का फ़ायदा उठाएं।
देश-विरोधी ताकतों के इशारे पर खेलें और सबूत न होने की आड़ लें।
राजनीति और इतिहास के बारे में अपने अधकचरे ज्ञान को अंतिम समझ लें।
अन्य विचारों के लिए असहिष्णुता और नफ़रत दिखाएं।

फिर भी उन्हें कोई छू दे, तो हंगामा।
कोई कुछ कह दे, तो बवाल।
कोई उंगली उठा दे, तो जनसंघी।
उनके साथ कुछ भी हो, उसके लिए उनका ख़ुद का व्यवहार दोषी नहीं।
देश की पुलिस और सरकार उनकी सुरक्षा में पगलाई फिरे।

मीडिया के दुलारे हैं वे।
अलगाववादियों और नक्सलियों के प्यारे हैं वे।
सभी सवालों से ऊपर हैं वे।
लोग कहते हैं कि देश का भविष्य हैं वे।
पर मालूम नहीं... देश के किस टुकड़े का भविष्य हैं वे!

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