Wednesday, November 25, 2015

‘पीके मोड’ से निकले नहीं और ‘दंगल मोड’ में घुस गए आमिर

पीके आए हैं का? दंगल काहे ठाने हैं?

(24 नवंबर 2015)

ऐसा लगता है कि आमिर ख़ान अभी पीके मोड से निकले भी नहीं हैं और दंगल मोड में घुस गए। पीके मोड में होने की वजह से अभी तक उन्हें लग रहा है कि वे इस गोले के जीव ही नहीं हैं। अगर वे अपने को इसी गोले का जीव समझ रहे होते, तो उन्हें पता होता कि धरती पर हर जगह कुछ न कुछ समस्या है और तुलनात्मक रूप से भारत काफी बेहतर है। दूसरी तरफ, दंगल मोड में घुस जाने की वजह से कांग्रेसी असहिष्णुता के चक्कर में फंसकर उन्होंने बिना बात दंगल छेड़ दिया है। 

बहरहाल, देश पर एहसान करने के लिए हम आमिर खान और किरण राव के शुक्रगुज़ार हैं। अगर वे देश छोड़कर चले गए होते, तो भारत पर विपत्तियों का पहाड़ टूट गया होता। हे आमिर खान साहब, आपने और आपकी पत्नी ने देश के 125 करोड़ लोगों को विपत्ति से बचा लिया, इसलिए ईश्वर करें, अगली फ़िल्म से आप 500 करोड़ की संपत्ति कमाएँ। कई लोग ऐसा कह भी रहे हैं कि सुर्खियों में बने रहने से आप लोगों की कमाई बढ़ जाती है और सुर्खियों से हट जाने से घट जाती है। 

वैसे आमिर ख़ान साहब, आप जो ऐसा बोल रहे हैं, उसके पीछे एक ख़ास किस्म की मानसिकता होती है। कई बेटे जब सक्षम हो जाते हैं, तो वे बात-बेबात माँ-बाप को घर छोड़ने की धमकी देने लगते हैं। आप दोनों को भी इस देश ने इतना सक्षम बना दिया है कि आप देश छोड़ने के बारे में सोच सकते हैं। हमें आपकी ऐसी सोच से दुःख तो हुआ, पर एतराज कोई नहीं, क्योंकि तसल्ली है कि भारत ने आपको इस लायक बना दिया है कि आप जहाँ भी जाएंगे, सुख और सम्मान से जी सकते हैं। 

लेकिन हे आमिर ख़ान साहब, कई बेटे ऐसे भी होते हैं, जो परिवार का हर दुःख साझा करते हैं, हर कष्ट सह लेते हैं, एक-दूसरे से कई तरह की असहमतियां और दिक्कतें होते हुए भी साथ खड़े रहते हैं। हमेशा घर को बेहतर बनाने के लिए सोचते और प्रयासरत् रहते हैं, लेकिन घर छोड़ने की बात कभी नहीं कहते। 

इसी देश में करोड़ों लोग ऐसे हैं, जो थानों से पिटकर और अदालतों से नाइंसाफी लेकर लौटते हैं, पर देश छोड़ने की धमकी नहीं देते। लाखों किसान क़र्ज़ में डूबकर आत्महत्या कर लेते हैं, पर देश छोड़ने की धमकी नहीं देते। करोड़ों दलितों, महादलितों, पिछड़ों, अगड़ों और यहाँ तक कि अल्पसंख्यकों के भी बच्चे स्कूल नहीं जा पाते और मजबूरी में मज़दूरी करते हैं, फिर भी वे देश छोड़ने की धमकी नहीं देते। 

दिल्ली में 3000 सिखों का क़त्ल हुआ, फिर भी उन्होंने देश छोड़ने की धमकी नहीं दी। कश्मीर से साढ़े तीन लाख पंडितों को खदेड़ दिया गया, अपने ही देश में शरणार्थी बन गए, फिर भी देश छोड़ने की धमकी नहीं दी। खुद मुसलमान भी गुजरात समेत कई दंगों में मारे गए, लेकिन उन्होंने देश छोड़ने की धमकी नहीं दी। जिस दादरी कांड पर इतनी राजनीति हो रही है, उसके मृतक अख़लाक़ के बेटे ने भी देश छोड़ने की धमकी देने के बजाय कहा- सारे जहाँ से अच्छा हिन्दोस्तां हमारा। 

लेकिन हे आमिर ख़ान साहब, आप पर कभी ऐसी कोई विपत्ति नहीं आई, फिर भी आप देश छोड़ने की बात कह सकते हैं, क्योंकि आप मिस्टर परफैक्शनिस्ट हैं। आपको परफैक्ट देश चाहिए। अगर इस गोले पर वह परफैक्ट देश नहीं मिला, तो आप दूसरे गोले पर चले जाएंगे। 

अगर आप मिस्टर परफैक्शनिस्ट नहीं होते, तो किरण को समझाते कि आपके पास दौलत है, शोहरत है, लोगों का प्यार है, प्रभावशाली लोगों तक पहुँच है। प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति से आप जब चाहें, मिल सकते हैं। आपके साथ कोई नाइंसाफी होने की सम्भावना इस देश में न के बराबर है। आपने दो बार शादी की। दोनों बार अलग धर्म में की, फिर भी किसी ने एतराज नहीं किया, बल्कि आपका साथ ही दिया। आपने देश का दिल तोड़ने वाला बयान दिया, फिर भी आपके घर की सुरक्षा कड़ी कर दी गयी।

आपके समझाने पर भी किरण अगर नहीं समझतीं, तो किसी अच्छे मनोचिकित्सक से उनकी काउन्सिलिंग कराते। कई बार समाज से कट जाने और देश-काल-परिस्थितियों की समझ के लिए अखबार, टीवी और फिल्मों पर अधिक निर्भर हो जाने से भी मन में डर, अवसाद और असुरक्षा की भावना आ जाती है। अगर आपने कांग्रेस के फंदे में फंसकर राजनीतिक बयान नहीं दिया है और सच कहा है, तो ऐसा सिर्फ़ किरण के साथ नहीं हुआ है। बहुतों के साथ होता है। आपको पत्नी का इलाज कराना था। 

लेकिन आपने तो पत्नी का इलाज कराने की बजाय देश पर ही इल्ज़ाम मढ़ दिया! वाह आमिर वाह। 

मिस्टर परफैक्शनिस्ट की अदा निराली। 
खा-पी लो, फिर छेदो थाली।

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