(4 अक्टूबर 2015)
क्या अखलाक मामले की "हैप्पी एंडिंग" होने वाली है?
---इतना मुआवजा दे दो कि मुआवजा ही इंसाफ़ जैसा लगने लगे और परिवार में इंसाफ़ के लिए उतनी बेचैनी न बचे।
---जिन लोगों को मुसलमानों के वोट चाहिए, उन्हें मुसलमानो के वोट मिल जाएं।
---जिन लोगों को हिन्दुओं के वोट चाहिए, उन्हें हिन्दुओं के वोट मिल जाएं।
---मीडिया के महानुभावो को मसाला मिल जाए।
---दो-दो कौड़ी के नेताओ को पब्लिसिटी मिल जाए।
---और हिन्दुओं-मुसलमानों दोनों के मन पर इतनी खरोंचें बच जाएं, कि सेक्युलर और कॉम्युनल दोनों तरह के डॉक्टरों के मरहमों की बिक्री भी बदस्तूर जारी रहे।
---जिन लोगों को मुसलमानों के वोट चाहिए, उन्हें मुसलमानो के वोट मिल जाएं।
---जिन लोगों को हिन्दुओं के वोट चाहिए, उन्हें हिन्दुओं के वोट मिल जाएं।
---मीडिया के महानुभावो को मसाला मिल जाए।
---दो-दो कौड़ी के नेताओ को पब्लिसिटी मिल जाए।
---और हिन्दुओं-मुसलमानों दोनों के मन पर इतनी खरोंचें बच जाएं, कि सेक्युलर और कॉम्युनल दोनों तरह के डॉक्टरों के मरहमों की बिक्री भी बदस्तूर जारी रहे।
अलविदा अख़लाक़... ऐसा लग रहा है कि तुम्हारा बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा!
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