(22 अक्टूबर 2015)
इंसानों के ज़िक्र में बार-बार कुत्ते का उदाहरण क्यों देते हैं बीजेपी के नेता? ऐसे ही बयान के लिए एक बार खुद नरेंद्र मोदी भी घिर चुके हैं। गुजरात दंगे से जुड़े एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा था कि अगर कुत्ते का पिल्ला भी गाड़ी के नीचे आ जाता है तो दुःख तो होता है। इसपर बहुत बवाल हुआ था।
इंसानों के ज़िक्र में बार-बार कुत्ते का उदाहरण क्यों देते हैं बीजेपी के नेता? ऐसे ही बयान के लिए एक बार खुद नरेंद्र मोदी भी घिर चुके हैं। गुजरात दंगे से जुड़े एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा था कि अगर कुत्ते का पिल्ला भी गाड़ी के नीचे आ जाता है तो दुःख तो होता है। इसपर बहुत बवाल हुआ था।
लगता है वीके सिंह ने उस घटना से कोई सबक नहीं लिया। हो सकता है उनकी नीयत में खोट न हो, लेकिन मिसाल तो ढंग की देनी चाहिए? जैसे हम कहें कि इतने वफादार तो कुत्ते भी होते हैं कि जिसकी रोटी खाते हैं, उसके पीछे दुम हिलाते हैं, लेकिन नेताजी जिसके वोट से माननीय बनते हैं, उसी को अपमानित करने लगते हैं, तो शायद किसी नेता को अच्छा नहीं लगेगा।
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