Wednesday, November 25, 2015

कांग्रेस खेल रही गंदा खेल। बीजेपी का भी लगता मेल।

असहिष्णुता का हौवा खड़ा कर बांटने वाली राजनीति
(25 नवंबर 2015)
कांग्रेस पार्टी जिन्ना जैसी सेक्युलर पॉलिटिक्स कर रही है। अगर 10-15 साल वह सत्ता से बाहर रह गई, तो दोबारा देश का बंटवारा करा देगी। इस पार्टी ने पहले नेहरू को पीएम बनवाने के लिए देश का बंटवारा कराया। इस बार वह मोदी को पीएम पद से हटाने के नाम पर देश को बांट देगी।
दादरी कांड से पहले भी देश में कई दंगे हुए, लेकिन हिन्दुओं-मुसलमानों का ऐसा वैचारिक बंटवारा हमने नहीं देखा। पिछले डेढ़ महीने में कांग्रेस और सहयोगी दलों ने पेड, पूर्वाग्रही और ऑब्लाइज्ड बुद्धिजीवियों के सहारे असहिष्णुता का जैसा हौवा खड़ा किया है, उससे साफ़ है कि अंग्रेज़ों के असली मानसपुत्र, जिनका 'फूट डालो और राज करो' ही ध्येय है, कहीं नहीं गए हैं।
सत्ता के बिना कांग्रेस की जान बिना पानी की मछली की तरह तड़पने लगती है। यह वही पार्टी है, जिसकी नेता के चुनाव पर इलाहाबाद हाई कोर्ट से प्रश्नचिह्न लगा, तो देश में इमरजेंसी लगा दी; जिसकी नेता की हत्या हुई, तो तीन दिन के भीतर दिल्ली में सिखों की समूची पीढ़ी को तबाह कर दिया; जिसके दबंग नेता दलितों-पिछड़ों को बूथ तक पहुंचने ही नहीं देते थे और दशकों तक बूथ-कब्जे के सहारे इस देश में चुनाव जीतते रहे।
आज वही कांग्रेस देश को सहिष्णुता का पाठ पढ़ा रही है और असहिष्णुता का हौवा खड़ा कर रही है। विश्वस्त सूत्रों से मिल रही जानकारी के मुताबिक कांग्रेस और सहयोगी दलों ने बिहार-चुनाव में असहिष्णुता की बहस का परीक्षण-मात्र किया था। चूंकि यह परीक्षण कामयाब रहा है, इसलिए उनके हौसले और बुलंद हो गए हैं और अब वे इस प्रयोग को और लंबा खींचना चाहते हैं।
सच्चाई यह है कि असहिष्णुता की पूरी बहस देश से असहिष्णुता को ख़त्म करने के लिए नहीं, बल्कि उसे और हवा देने के लिए है। लोगों के मन से डर निकालने के लिए नहीं, बल्कि उन्हें और डराने के लिए है। कांग्रेस और उसके साथी दल कभी नहीं चाहते कि मुस्लिम इस देश में निडर होकर रहें। अगर उनके मन से डर निकल गया, तो इनकी सियासत ही समाप्त हो जाएगी।
बीजेपी के नीति-निर्माता भी या तो इतने नासमझ हैं कि कांग्रेस की इस विध्वंसकारी राजनीति को समझ नहीं पा रहे, या फिर इतने महीन, कि वे भी क्रिया और प्रतिक्रिया के खेल में अपना फ़ायदा देख रहे हैं। उन्हें भी लगता होगा कि मुसलमानों का ध्रुवीकरण अंततः हिन्दुओँ के ध्रुवीकरण में तब्दील होगा। इसीलिए उन्होंने अपने सभी औने-पौने-बौने नेताओं को खुला छोड़ रखा है। वे न उनपर लगाम कसते हैं, न उनपर कार्रवाई करते हैं। उल्टे मौका देखकर उन्हें पुरस्कृत भी कर देते हैं।
यह गंदा... बेहद गंदा खेल है।

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