Thursday, November 19, 2015

विचार (कविता)

(7 नवंबर 2015)
न मैंने इनके लिए मार्च निकाला
न मैंने उनके लिए मार्च निकाला
मैंने दोनों तरफ़ के अंधेरों के बीच
अपना एक टॉर्च निकाला
थोड़े-से प्रकाश के लिए
इस विश्वास के लिए
कि मेरी आंखें अभी तक बुझी नहीं हैं।
इन अंधेरों को चीरते हुए भी मैं चल सकता हूं
उड़ सकता हूं
सीधे जा सकता हूं
दाएं या बाएं मुड़ सकता हूं।
विचार मेरे लिए कुआं नहीं था
विचार मेरे लिए एक रास्ता था।

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