Thursday, November 19, 2015

हथियार और दुनिया

(15 नवंबर 2015)
एक आदमी है जो हथियार बनाता है और बेचता है।
एक आदमी है जो हथियार खरीदता है और इससे खेलता है।
एक तीसरा आदमी भी है, जो न हथियार बनाता-बेचता है, न ख़रीदता-खेलता है
लेकिन हिंसा का सारा दंश वही झेलता है।
मैं पूछता हूं- ये पहले दो आदमी कौन हैं?
मेरी समूची दुनिया मौन है।
(धूमिल की कविता "रोटी और संसद" से प्रेरित)

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