(15 नवंबर 2015)
एक आदमी है जो हथियार बनाता है और बेचता है।
एक आदमी है जो हथियार खरीदता है और इससे खेलता है।
एक तीसरा आदमी भी है, जो न हथियार बनाता-बेचता है, न ख़रीदता-खेलता है
लेकिन हिंसा का सारा दंश वही झेलता है।
मैं पूछता हूं- ये पहले दो आदमी कौन हैं?
मेरी समूची दुनिया मौन है।
एक आदमी है जो हथियार खरीदता है और इससे खेलता है।
एक तीसरा आदमी भी है, जो न हथियार बनाता-बेचता है, न ख़रीदता-खेलता है
लेकिन हिंसा का सारा दंश वही झेलता है।
मैं पूछता हूं- ये पहले दो आदमी कौन हैं?
मेरी समूची दुनिया मौन है।
(धूमिल की कविता "रोटी और संसद" से प्रेरित)
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