Thursday, November 26, 2015

धंधा चौपट होने के डर से सफाई तो आई, लेकिन विनम्रता नदारद!

(25 नवंबर 2015)

जब आमिर को लगा कि ये वाला पब्लिसिटी स्टंट महंगा पड़ गया है और इससे तो धंधा ही चौपट हो जाएगा, तो दो दिन बाद उनकी सफाई आई। हालांकि उनकी इस सफाई में मुझे विनम्रता कम, हेकड़ी अधिक दिखाई दे रही है।

आमिर कहते कि उनकी बात को गलत समझा गया। आमिर भरते देशभक्ति का दम। कहते कि न उनकी पत्नी, न वे भारत छोड़ना चाहते हैं। लेकिन अगर उनमें ज़रा भी विनम्रता होती तो वे यह भी कहते कि "अगर उनकी बात से किसी को ठेस पहुंची है, तो इसके लिए वे माफी चाहते हैं (या कम से कम उन्हें खेद है।) उनका इरादा वैसा नहीं था, जैसा समझा गया।"

जब आपकी बात से बड़ी संख्या में लोगों को ठेस पहुंचे, तो विनम्र लोग इसी तरह अपनी बात रखते हैं, लेकिन आमिर ने ऐसा कुछ नहीं कहा। आमिर ने कहा "I stand by everything that I have said in my interview" यानी "मैं अपने इंटरव्यू में कही गई हर बात पर कायम हूं।" यानी पिछले 6-8 महीनों में ही देश में ऐसा माहौल बन गया, जिसकी वजह से उनकी पत्नी ने देश छोड़ कहीं और बस जाने की बात कही- इस बात पर वे कायम हैं।

आमिर ने यह भी कहा कि "To all the people shouting obscenities at me for speaking my heart out, it saddens me to say you are only proving my point" यानी "आप सभी लोग जो दिल की बात कहने के लिए मुझपर चिल्ला-चिल्ला कर अश्लील टिप्पणियां कर रहे हैं, मुझे उदास/दुखी करते हैं और मेरी बात को सही साबित कर रहे हैं।"

अश्लील टिप्पणियां करने वालों का तो कोई समर्थन नहीं कर सकता, लेकिन आमिर ने सोचा कि जिन लोगों ने उन्हें सिर-आंखों पर बिठाया, अगर उन्होंने अप्रिय टिप्पणियां की, तो क्यों की? आमिर के दुख की परवाह सभी करें, लेकिन आमिर क्या उनकी परवाह न करें, जो आमिर के बयान से इस कदर दुखी हो गए कि आपा खो बैठे?

हम हर व्यक्ति से संयमित बयान की आशा करते हैं, लेकिन जिसने संयम खोया, हर वह व्यक्ति आमिर को ग़लत क्यों लगता है? आख़िर वह भी तो दुखी हुआ? उसके दिल को भी तो चोट पहुंची?

आमिर की बातों से यह भी लगा कि अश्लील टिप्पणियां करने वालों से तो वे दुखी हुए, लेकिन मर्यादित आलोचना करने वालों को भी अलग श्रेणी में रखकर नहीं देख रहे। अगर ऐसा है, तो क्या यही उनकी लोकतांत्रिक और सहिष्णुता भरी सोच है? इसी सोच के दम पर वे दूसरों की आलोचना कर रहे हैं?

किसी स्टार को ऐसा क्यों लगता है कि लोग अगर उसकी फिल्मों को पसंद करते हैं, तो आंख मूंदकर उसकी हर बात का भी समर्थन करेंगे? अगर आमिर को इस देश से असहमत होने का अधिकार है, तो इस देश को आमिर से असहमत होने का अधिकार क्यों नहीं है? इस देश में हम प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति, मंत्रियों, मुख्यमंत्रियों सबसे असहमत हो सकते हैं, आमिर से क्यों नहीं हो सकते?

आमिर की इस सफाई से ऐसा लगता है कि वे अपने दोनों हाथों में लड्डू रखना चाहते हैं। अगर आप उनकी बात से सहमत हों, तब तो वे सही हैं ही, लेकिन अगर असहमत हुए, तो भी आप उन्हें ही सही साबित करेंगे। आमिर ख़ान होगे बड़े स्टार, लेकिन सिर्फ़ वही सही हैं और उनसे असहमत सारे लोग ग़लत? सिर्फ़ उन्होंने या उनके साथ खड़े लोगों ने ही सच्चाई का ठेका ले रखा है, बाकी सब झूठे हैं?

आमिर कहते हैं कि "To all those people who are calling me anti-national, I would like to say that I am proud to be Indian, and I do not need anyone's permission nor endorsement for that" यानी "जो लोग मुझे देश-विरोधी कह रहे हैं, मैं उनसे कहना चाहता हूं कि मैं भारतीय होने में गर्व महसूस करता हूं और इसके लिए मुझे किसी से इजाज़त लेने या पुष्टि करवाने की ज़रूरत नहीं है।"

बात ठीक है। अगर कोई उन्हें "देश-विरोधी" या "देशद्रोही" कहता है, तो ग़लत है। भारतीय होने में गर्व होना भी बहुत अच्छी बात है। लेकिन हम तो भारतीय होने में विनम्रता भी महसूस करते हैं। हमारे यहां कहा गया है- "विद्या ददाति विनयम्" यानी "ज्ञान हमें विनम्रता देता है।" लेकिन आमिर के पूरे जवाब मे विनम्रता का लेश-मात्र भी आप ढूंढ़ते रह जाएंगे।

एक तो आपने लोगों को चोट पहुंचाई। ऊपर से आप ही उन्हें क्रिटिसाइज़ भी कर रहे हैं, यह तो बहुत गलत बात है। हम उन लोगों का समर्थन नहीं करते, जिन्होंने आपको देशद्रोही कहा या गालियां दी, लेकिन आपने जिन लोगों को ठेस पहुंचाई, क्या आपको भी उनसे माफी नहीं मांगनी चाहिए थी या कम से कम खेद नहीं जताना चाहिए था?

आमिर ख़ान के किरण के देश छोड़ने के इरादे वाले बयान के बाद मैंने यह फ़ैसला नही किया था, क्योंकि तब तक मुझे उम्मीद थी कि आमिर अपने बयान को सुधार लेंगे, कलाकार हैं, भावनाओं में बह गए होंगे, लेकिन उनकी इस "अविनम्र सफ़ाई" के बाद मुझे उनसे कोई उम्मीद नहीं है। सो, मैं आगे से आमिर खान की कोई फिल्म नहीं देखूंगा।

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